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कविता

सात पंक्तियाँ

मंगलेश डबराल


मुश्किल से हाथ लगी एक सरल पंक्ति
एक दूसरी बेडौल-सी पंक्ति में समा गई
उसने तीसरी जर्जर किस्म की पंक्ति को धक्का दिया
इस तरह जटिल-सी लड़खड़ाती चौथी पंक्ति बनी
जो खाली झूलती हुई पाँचवी पंक्ति से उलझी
जिसने छटपटाकर छठी पंक्ति को खोजा जो आधा ही लिखी गई थी
अंततः सातवीं पंक्ति में गिर पड़ा यह सारा मलबा


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हिंदी समय में मंगलेश डबराल की रचनाएँ